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Showing posts from 2018

मैं इसे समझ नहीं पाता

ये धूप कान में कुछ फुसफुसाती है, कोई पुरानी बात याद दिलाती है, मैं इसे समझ नहीं पाता। ये हवाएं भी रूह को जगाती है, अपने वजूद का एहसास दिलाती है, मैं इसे समझ नहीं पाता। ये परिंदों की चहचहाहट भी क्या गज़ब ढाती है, मानो इनकी टोली कोई मधुर गीत सुनाती है, पर मैं इसे समझ नहीं पाता। ये आसमां की चादर सबको सुलाती है, देर रात नींद से मीठी बातें करती है, और ख़्वाब को पास बुलाती है, फिर ,चाँद तारों की महफ़िल में शामिल हो जाती है, सर्द में जब सड़कों पर मासूमों को देखती है, अश्कों की बारिश में भीग जाती है , पर मैं इसे समझ नहीं पाता । ये अधूरी कहानी एक गाँव दिखाती है जहां की मिट्टी भी सुगंध छोड़ जाती है ज़िंदा हूँ, उन सांसों में, जो ग़ुमराह है किसी शहर में, वही जीने की वजह बन जाती है, पर मैं इसे समझ नहीं पाता ।

तुम अंग्रेज़ी की प्रेमिका हो, मैं हिंदी का दीवाना हूँ।

तुम अंग्रेज़ी की प्रेमिका हो, मैं हिंदी का दीवाना हूँ। तुम अटल,ज़िद्दी अमेरीका हो, मैं भारत का अंश पुराना हूँ। मिलकर सुलह करेंगे, मैं इस आस में हूँ। शिक़वे, शिकायत,कलह मिटेंगे, मैं इस प्रयास में हूँ । तुम महलों की जीविका हो, मैं पनाह की तलाश में बेगाना  हूँ । तुम रूठने का तरीका हो। मैं दिल बहलाने वाला गाना हूँ। तुम जीने का सलीका हो, मैं निस्वार्थ प्रेम का तराना हूँ। तुम अंग्रेज़ी की प्रेमिका हो, मैं हिंदी का दीवाना हूँ।।

मैं वही "जॉन" हूँ

किस्मत ने पूछा मैं कौन हूँ? मैंने बोला, मैं वही "जॉन" हूँ जिसकी तलाश में मैं कब से मौन हूँ। वो सन्नाटे में छिपी मंज़िल है, जिसका कोई नहीं साहिल है, शामिल नहीं कहीं, मैं ऐसा सुकून हूँ । मैं कबसे कह रहा, मैं वही "जॉन" हूँ। काश! में खोया ,मैं कब से मौन हूँ।। जिसका अहसास है इन हवाओं में, वो अज़नबी साज़िशें लगती है, अब अधूरी आस है इन दुआओं में । जो तहज़ीब होती है नवाबों में, वो खो गयी है कहीं ख़्वाबों में । बाज़ार ए महफ़िल में धुल गया हूँ। ज़िन्दगी जी ने का सलीका भूल गया हूँ।। मैं रिहा होना चाहता हूँ, कुछ मनमानी,ज़िद्दी विचारों से, गुनाहों में दर्ज नाम कितने है। संभल के रहना मुमकिन नहीं, अब मुझ पर इल्ज़ाम इतने है। काफ़िला लेकर कैसे चलूँ मैं ?, हर मोड़ पर इंतेज़ाम रखने है। आगे कैसे बढूं मैं, हर शहर में इन्तेक़ाम दिखने है।। मैं फिर दोहराता हूँ, मैं वही जॉन हूँ। ख़्वाबों में जीता जागता मैं वही इंसान हूँ।।

लौट आओ अब

"लौट आओ अब " आशियाने ये कहने लगे। पुरानी गलियों में, घूमने आओगे कब? फ़साने ये कहने लगे । पतंगों में उलझे मांझे अब लड़ने लगे। वो हिंदी की कठिन व्याख्या, वो संस्कृत के अनगिनत श्लोक, सब दल बदलने लगे, एक अरसा सा हो गया है, कहीं बचपन खो गया है, उम्र का पहरा छा गया है। ज़माने ये कहने लगे। कुछ भूल गए हो तुम, कहीं सर्दी न लग जाए, ऊन से बुने,पुराने दस्ताने ये कहने लगे ।। "लौट आओ अब" आशियाने ये कहने लगे। कागज की नाव अब जुगत में चलने लगे । अल्फ़ाज़, चिट्ठी से निकल कर अब आवाज़ों में बदलने लगे। "लौट आओ अब" आशियाने ये कहने लगे। पुकारती है मीठी आवाज़, जो छत पर बैठी कोयल सुनाती थी चहचहाना उनका मधुर नींद लाने लगे । संगीतमय तराने ये कहने लगे । जब याद आये बीते दिन, पुराने गीतों को हम दोहराने लगे । "लौट आओ अब" आशियाने ये कहने लगे।। "लौट आऊंगा मैं", अहम से अनुमति तो मिले। "दौड़ आऊंगा मैं", स्वयं से स्वकृति तो मिले ।।

जवाब दूँगा

तुम्हारी हर बात का जवाब दूँगा तुम्हारे और मेरे हालात का रुबाब दूँगा मिल जाये गर तू कभी अब, तुझसे एक-एक अश्क़ का हिसाब लूँगा ।। तकलीफ क्या होती है तुझे अपने ग़मों का ख़िताब दूँगा ।। ये दिल से जो अल्फ़ाज़ निकलते है मेरे उसका हर कतरा इश्क़-ए-आसाब दूँगा।। जो शब्द कहे थे तूने कि "पैसा ही सबकुछ है" मैं भी उलझ गया, उसकी जुबान को पत्थर की लकीर समझ गया । मैं सोचता था शायद इसमें भी चलो किसी का फ़ायदा होगा । पर क्या पता था तुझमें तेरा अलग ही कायदा होगा ।। शायद अब मायने बदल गए समझने के, वो सुदामा-कृष्ण की दोस्ती का प्रेम वो राधा-कृष्ण का प्रेम प्रेम की परिभाषा में वो गीत गाते थे ज़रा सी मुस्कान पर फिसल जाते थे माना कि हम हैसियत में कच्चे थे, अरे कम से कम हम उनसे तो अच्छे थे जो आवारागर्दी और गालियों पर उतर आते थे। सूरत से नहीं, सीरत से प्यार था मुझे फिर क्यों इंसानियत से इंनकार था तुझे जैसा भी था प्यार,अपार था मुझे तुमनें "सिर्फ दोस्त" के नाम का मतलब निकाला था मुझसे सीधा बोल देती,"व्यापार था तुझसे" आज पलटता हूँ जब ज़...

एक रात

ज़िन्दगी बेहाल है, कभी जवाब,कभी सवाल है कुछ अजनबी से मोड़ है कुछ मुकाबले की दौड़ है कुछ मंजिले जानी-पहचानी है कुछ रास्तों में बेईमानी है नींद भी है ,ख्वाब भी है सवाल भी है ,जवाब भी है रुबाब भी है, नक़ाब भी है "चाँदनी" रात भी है,धुन्दला सा महताब भी है । बस कमी है तो सितारों की, जिनके गमों का हिसाब भी है । अज़ाब भी है,खुशियों का ख़िताब भी है । अमल करना है जिस पर, वो अधूरा सा ख़्वाब भी है। उड़ान के लिए बादलों का मुक़ाम भी है। पंखों में हौसले का पैगाम भी है । जब दिल में सच्चे जज्बात है फिर डरने की क्या बात है सोचने-समझने के लिए बस एक रात है, बस आखिरी रात है ।।

मजबूरी

कैसी ये मजबूरी है बेफिजूल ये खुमारी है कैसे कहूँ कि खुश-नसीब हूँ मैं, अपनों की परेशानी लगे बड़ी सी, मुसीबत में क़यास-ए-उम्मीद लगे अड़ी सी, जब तक मुक्कमल न हुए दूसरों से तो लगा हम ही परेशान है जहाँ से, फ़ासले थे कुछ दूर यहाँ से, जब देखा नंगे पांव घूमने वाले मासूम को जेब टटोली तो पैसे न निकले उस नादान को देने को । मिट्टी का मकां, मंदिर है उनका छोटी सी दुनिया मे जहाँ है जिनका जीवन दाव लगा देते है अपना पेट पालने के लिए एक रोटी ही खा लेते है भूख मिटाने के लिए मजबूरी में इंसान क्या कुछ नही करता अभाव के रंग स्याही में उबलने दूँ तो ये ज़िन्दगी मज़ाक उड़ाती है, ये भूख है कुछ करने की, कभी इंसान को आगे बढ़ा जाती है कभी इंसान को कमज़ोर बनाती है सब कुछ सिखा जाती है फिर भी ये दुनिया अलग रंग दिखती है राजनीति और इंसानियत में फसी ज़िन्दगी किसी दाव पर लग जाती है फिर दुआओं में नींद जग जाती है.

पुराने दोस्त

In the memory of my friend who is no more in this world * कल कई दोस्त पुराने दिखे थे, फ़िर ख़्वाब की तस्वीरों में तुम मिले थे। वक़्त के चक्रव्यूह में कुछ बात न हो पाई, जब लौट के देखा मुड़कर हमनें, फिर कभी मुलाक़ात न हो पाई । वो ज़माने से खफ़ा हो चले थे , दर्द सीने में लिए , न जाने कितने जफ़ा के मसले थे। न जाने कितने अश्क़, यादोँ की कश्ती में बह चले थे। जो रोशन करने में तुले थे, वो ख़्वाब अधूरे हो चले थे । वाकिफ़ तो नही थे इस ख्वाइश से कि मिलेंगे इस कदर हम, अतीत के खुशनुमा सवेरे दुखभरी शाम बन ढले थे । साथ जीने के अरमान दिल मे पले थे । परेशान थे इस खौफ़ से, कभी अलग न हो हमारे रास्ते, घर के चिराग रोशनी तले थे दोस्तों में तुम सबसे भले थे ।       (*जफ़ा-उत्पीड़न)

Rich heart with poor mind

From the rich heart of a poor person Faded skins, full of wrinkles on my faces and eyes filled with tears of hope reveals the truth of past stories. The things which bother me about the world is that  they just wanted to use me as a machine when retired just throw. Never thought about the situations I fought under it. Let me remind you, my son! When you were small I use to hold your fingers and made you stable, now you reminded me the same thing but the difference is today you are the finger holder  and I am the poor old useless person who really needs proper medication and your help. Instead of such efforts, you pushed me out from home just because I am weak. Scares on my body is the sign of dedication and hard work. I remember the time when you showed your anger in form of sticks that were used for beating me. Thank you for taking such big decisions,  at least you are learning and following the steps of rich attitude. My life turned on when you dropped...

हौसला

"हौसला एक पर्वत है जुनून से चढ़ शिखर रघों में बहता समुंदर है बस उसका मोती बन निखर" परिंदों जैसी उड़ान रहे जब फिर दर दर क्यों भटक रहे सब इल्म की कश्ती को जान लो किस्मत की पहेलियों से उभरकर दमक रहा नायाब हो ऐसा हुनर रहे अब, ईसे तुम पहचान लो । कहीं गम कहीं खुशियाँ सब देख रहे रब, दुख में भी सुख है सुख में भी दुख है खुद में ही ख़ुदा है, ये तुम मान लो । हम दर्द से जुदा है, दर्द हम से जुदा है, बस ठान लो । हम शब्दों के पूल बाँध तो रहे है लेकिन अहसासों का तूफान कैसे रोके? हम इरादों को बुलंद तो कर रहे है मगर अहंकार को आग में कैसे झोकें ? इन सवालों के जवाब को, अरमानों में तब्दील होने का गुमान लो ।। (*इल्म = ज्ञान)

फिर सुनायेंगे

 "बंजारों की क्या ख्वाइश, महल खड़ा करने की । वो ज़िम्मेदार है,इंतज़ार करते है, उम्मीद है उन्हें,बारिश के ठहरने की । वो खुद्दार है,लगे रहते है, उनका मुकाम-ए-मकसद है,कुछ बड़ा करने की । " बल और लगाएंगे, मंज़िल की राह पर गिराने वाले । छल और अपनाएंगे, गलत हिदायतें देने वाले । नकाब कहाँ हटाएंगे, चेहरा छुपाने वाले। फरेबियत और जगायेंगे शराफत की मिशाल कहे जाने वाले ।। पल में रोयेंगे, पल में मुसकुरायेंगे, तमाम, दास्तान-ए-शुजाअत सुनने वाले। कल और आएँगे, नगमों से खिलती कलियाँ चुनने वाले । हमसे बेहतर करने वाले, तुमसे बेहतर करने वाले । कल से बेहतर करने वाले, आज से बेहतर करने वाले।। मगर,हल कोई न बताएंगे, न सफर में हाथ देने वाले, न समर में सिद्धार्थ बनने वाले । साया के साथ चलने वाले, माया के साथ चलने वाले ।। *समर-लड़ाई *शुजाअत-वीरता

रोशनी और अंधेरा

रोशनी और अंधेरा,अलग एक दूसरे से फिर भी दोनों का वजूद एक दूसरे से । सूरज की रोशनी, जब ओस की बूंदों पर पड़ी, किरणें उसकी मोती सी चमक उठी । चाँद की चाँदनी, जब अँधेरे को चीर कर घर के आँगन पर पड़ी, चिराग की लौ से दमक उठी । अब आसमाँ में चाँद पूरा था लेकिन एक अहसास अधूरा था दफ़न मिट्टी में जो राज थे वो घाव बन कर उभरे आज थे कल की हवाओं ने रुख मोड़ लिया था, ऐसे घने बादल में तारे नज़रअंदाज़ थे । शायद सितारों की है जासूसी, या फिर आसमाँ की है मायूसी । कभी शीत लहरों में नींद चुराते है, कहीं वक़्त की खामोशी को सताते है, इसीलिए बादल में छुपे कुछ अश्क,दर्द बरसाते है, चलो कल फिर इसकी वजह अजमाते है ।।

प्रकृति का सच (Truth of Nature)

हरी चादर में लिपटी प्रकृति कल मुस्कुरा रही थी , आज पूछा हालात क्या है ? नम आंखों से, अपना दर्द छुपा रही थी । फिर पूछा बात क्या है ? भीगे लबों से, अपने जज्बात बता रही थी । हवा से बात हुई थी कभी आज रूठी है इस कदर कि रूह बन कर बादल की पनाह में जा रही थी । कल की बारिश आज तूफान ला रही थी । अस्त व्यस्त हो चला जीवन कई मासूमों की जान जा रही थी । छिन गयी ज़िन्दगी हज़ारों की बेघर हुए सड़कों पर कुदरत, खामोशी लिए बाज़ारों की , अब ये दरकार की पुकार है चंद दिनों में उम्मीद की फुहार है उनके लिए मरहम ये सरकार है धीरे-धीरे जिंदगी में वापस निखार है कुछ दिन बाद देखा, समाज की मदद से अनाज पा रही थी । सुकून से अब प्रक्रति, इलाज करा रही थी ।।

मेरा देश संभल रहा है

मेरा देश संभल रहा है मेरा देश बदल रहा है है हौसला,जीतूंगा या मरूँगा मैं अपने लहराते तिरंगे की कसम इसका मान सदैव बनाये रखूंगा मैं अपने देश का हर नागरिक प्यारा है बस एक ख्वाइश हँस के गवारा है मौत गर आ जाये तो आंखों में नमी न हो देश में शूरवीरों की कमी न हो बस एक तमन्ना है मेरी अपने ही अपनो में दंगा न हो बस कफन की जगह तिरंगा हो अंत तक होंठो पर गंगा हो । है हौसला, जीतूँगा या मरूँगा मै अपने देश को राजनीतिक खेल से दूर करूँगा मैं । देश को भ्रष्टाचार और अत्याचार से आजाद करूँगा मैं। मिट जाऊंगा मगर, इस देश को कभी गिरने न दूंगा ध्वज को कभी मिट्टी में मिलने न दूंगा । स्वंत्रता के पैगाम को मैं आपको सुना रहा हूँ खुद से एक वादा निभा रहा हूँ जागो देश के नौजवानों, नया सवेरा ला रहा हूँ सुने होंगे आपने भी कई ऐसे भाषण श्रोताओं में उम्मीद बाटते और बाटते राशन आजाद तो हो गया अपना देश पर कुछ बंधन से मुक्त नही है अपना देश जानवर भी सुरक्षित नही जहाँ आम नागरिक कैसे हो उपस्थित वहाँ । भारत की झोली में फूल है जो मुरझा गए है, कुछ अधूरी दास्तां समझा गए...

गुमराह मुसाफ़िर

सवाल कर न सके तो हम बेबाक ख्वाबों से परे ही सही । मंजिल मिल न सके तो हम ख्यालों की दुनिया मे घिरे ही सही। तकदीर का साथ न बन सके तो हम लकीरों से अधूरे ही सही । फिक्र गुम है कहीं पन्नों में जुनून ये कलम है, अल्फाजों की अमानत है, सपनों में वक़्त की तेज रफ़्तार में संभालने को बचा कुछ है ही नही । आवाज न बन सके तो हम शब्दों के सहारे ही सही ।। तेज लहरों से न खेल सके तो हम दरिया के किनारे ही सही ।। घर मे आशियाँ न मिल सके तो हम किराये की छत के तारे ही सही ।। कीमती उपहार न दे सके तो हम ह्रदय में छुपे सितारे ही सही ।। दर्द में मुस्कराना सीख न सके तो, मुस्कुराहट में छिपे दर्द को पहचान न सके तो, हम झूठी हँसी के जादुई पिटारे ही सही ।। पुराने ख्यालात को संभाल न सके तो  किसी डर से जज़्बात न बता सके तो हम खामोश इशारे ही सही ।। ज़िन्दगी को खूबसूरत बना न सके तो,  दुनिया को अपना बना न सके तो, हम माँ-बाप के प्यारे-दुलारे ही सही।।

बारिश का मौसम

खुशमिजाज़ ये मौसम  न जाने कब भड़क जाये, कभी बादल बन बरस जाये, कभी बिजलियों सा कड़क जाये। एक ओर वो झोपड़ी, जिसको भय है बह जाने का । एक ओर वो महल, जिसको भय न ढह जाने का । अम्बर से बरसे अमृत ऐसे, बारिश की बूंदों से मिट्टी महक जाये । जिसकी भीनी सी खुशबू कब दिल में धड़क जाये । खामोश था जो आस्मां अब इन्द्रधनुष से दमक जाये । गरजते बादल और ये बारिश, सावन को सुरमय बनाने की जैसे खुदा की हो कोई साजिश ।

दोस्ती हमें प्यारी लगे

प्यार और दोस्ती में, दोस्ती हमें प्यारी लगे । दुनियादारी और यारी में, यारी हमें न्यारी लगे । याद हमें आने लगे बचपन के वो हसीन पल जब मिले दोस्तों से लौट आया गुज़रा हुआ कल दोस्ती की दास्ताँ में सारी जिंदगी कुर्बान कभी मिलकर बैठे जहाँ अब ढूँढती नज़र वहाँ फुरसत हो तो जमा लो महफ़िल गाए बस यहीं जुबान दो दिल एक जान । यारों में खुदा हो बसा जैसे फिर यारों के खिलाफ जाऊ कैसे उन यादों में डूब जाऊ ऐसे । प्यार और दोस्ती में, दोस्ती हमें प्यारी लगे परी और यारी में यारी हमें न्यारी लगे अटूट हो हमारी दोस्ती ऐसी फीकी पड़ जाये कृष्णा और सुदामा की दोस्ती। वो गालियाँ भी संस्कारी लगे तारीफों की बौछार में अल्फाज भी शायरी लगे ज़िन्दगी के हिस्से में नफरतों भरे किस्सों में दुश्मनों की चेतावनी देती हिदायत लगे जैसे कोई कयामत फिर जब यारों की हो इबादत हर मोड़ पर दोस्तों ने रखा सलामत मिटे मतभेद के सिलसिले जब-जब महफ़िल में फूल खिले जब रास्ते में कांटे मिले तब पुरानी गलियों में दोस्ती का मरहम मिले वक़्त की अमानत में दुनिया ये जूआरी लगे प्यार...

मनमर्ज़ियाँ

मनमर्ज़ियाँ कैसी ये अर्ज़ियाँ बुझे न पहेलियाँ सुलझा दे इन्हें भटके हुए हम सूनी है गलियाँ कठोर सड़को पर चलना सिखा दे हमें अधूरे है सफ़र, ऐ राह के हमसफर! कितनी हसीन है , दिखा दे ये दुनिया | दुआओं का असर है इस क़दर, चारो तरफ फैला ख़ुशी का मंजर कबूल हो दुआ ऐसी ख्वाइशे रखने वालों ने उम्मीद की किरण को जला दिया । रोशन हो शमां हर महफ़िल में मशहूर हो जाऊ मुस्तकबिल में इस ख्याल में नाम चला दिया । उम्र लम्बी हो हमारी ऐसी है भावनाएँ कुछ सच्ची, कुछ कच्ची सी शुभकामनाएँ मुस्कुरा लेता हूँ इन हालातों में और दिल के जज्बातों में मन को तस्सली देता हूँ चलो साल दर साल कम हुआ इस दर्द भरी ज़िन्दगी को एक नया पैगाम देता हूँ ।

Stay positive,Control causative

Stay Positive, Control Causative Ladies and Gentleman! presenting you the Story that has Crowning glory We already know Sky is blue but need some clue to send messages across the world about days n night fixed with glue. Every cloud has silver lining stars around it kept shining but greed for gold mining made the whole nation hungry not for the food, for the money it might be the reason for angry but it's the victory of evil inside us, that keep surfing negative vibes beside us. Instead of being in touch We are near to the mobile's touch and hate to share the feelings through real-time blessings current and upcoming generations love the virtualization wondering the feelings in emoticons which lie the actual expressions. change u want to see in others start from I and U that druthers It's time to begin today Evils are tomorrow and yesterday Let's celebrate the winning of hearts which manages the system and t...

बचपन के रंग,पापा के संग

बचपन के दिनों में पापा के दिलो में हमेशा ही रहा उन बीते साहिलों में किस्से कहानियाँ तो बहुत है सुनाने को वक़्त कहा लफ़्ज़ों में बतलाने को शब्द भी कम पड़ जाएँगे लिखने को कुछ लम्हे मिल जाये अतीत में जाने को जी चाहता है फिर से जी सकूँ उस जमाने को जी चाहता है, उन खुशनुमा बचपन को दोहराने को जी चाहता है इसे चंद अल्फाजों में बयाँ करने को ऊँगली पकड़ कर चलना सिखाया कंधे पर बैठा पूरा शहर घुमाया सारी खुशियों की चाबी हो तुम हर मौसम में राबी हो तुम तुझसे ही मेरी पहचान है आई तुझमे ही मेरी शक्शियत है समाई याद है मुझे वो पुरानी साइकिल, जिस पर बैठ कर स्कूल जाया करते थे जिसे देख हँसते थे बच्चे, याद है वो दिन जब सूरज से जल्दी उठने की रेस लगाया करते थे । शहर भी वक्त से पहुँचाया करते थे । छुट्टिया होती थी जब कभी तो गाड़ियों की आवाज पर कान टिका करते थे कहीं वो पापा तो नहीं ये सोच कर नज़रे दरवाजे पर रहा करती थी इंतज़ार में साँझ हो जाया करती थी, घर जाने की जल्दी जो हुआ करती थी, कैसे चेहरे पर, मुस्कान आ जाया करती थी । जेब खाली  पर दिल ...

तुम जैसी भी हो ,आज भी पसंद हो मुझे

तुम जैसी भी हो ,आज भी पसंद हो मुझे। तुम्हारी वो कातिलाना मुस्कान, तुम्हारी वो बातों की दुकान, सब याद है मुझे, अब ये यादें दिल से गुज़र कर, बस यहीं कहती रहती है,  लौट आओ फिर से इस ज़िन्दगी में, इसी फ़िराक़ में धड़कने तेज चलती रहती है, और बयां क्या करे दिल्लगी में। तुम जैसी भी हो,आज भी पसंद हो मुझे । तेरी बातों का असर कुछ ऐसा था, मेरा अल्फ़ाज़ तेरी आवाज़ जैसा था। जो नजरों को न दिखे, वो ख्वाब बन गये हो तुम। जिसकी कमी सी लगे, ऐसे लाज़वाब बन गये हो तुम। तुम जैसी भी हो,आज भी पसंद हो मुझे । तुम जैसी भी हो,आज भी पसंद हो मुझे । तेरी ख़ुशी के लिए, हर रास्ते पर चला हूँ हर पल, हर गम में, तेरी यादों में पला हूँ चलो छोड़ो ये बाते, आओ महफ़िल को जमाते। लौट आओ अब, इस बेरंग जीवन में ,रंगों से भर दो मुझे। तुम जैसी भी हो,आज भी पसंद हो मुझे । तुम जैसी भी हो,आज भी पसंद हो मुझे । कैसे करू इजहार अपनी मोहब्बत का। डरता हूँ,कहीं टूट न जाये वायदा ए दोस्ती का। वक़्त के मोड़ पर, एक तेरा ईशारा, एक आँखों में हज़ार सपनो का पिटारा । बेबाक सा मन ये, अंजान अकेले रास्ते चुने । नादान ये आँखे, बेख़ौफ़, मुश्किल ख्वाब बुने । इ...

तू लहर-लहर सी बहती जाये

तू लहर-लहर सी बहती जाये, मै किसी दरिया का किनारा बन जाऊ। तू विशाल पेड़ की ठंडी छाया बन जाये, मै तेरी सड़को का भटकता रही  बन जाऊं, एक दूजे के बिन रहा न जाये। । मै  ऐसे आसमां का सितारा बन जाऊं।  तू बंद लिफ़ाफ़े की चिठ्ठी सी, मै शब्द बन कर अल्फाजों को सुना जाऊ । तू आसमाँ की परी सी, मै बादल बन तुझमे समा जाऊ । मै सुलगती धरती का वो प्यासा हूँ, तू बारिश बन कर भीगा जाये । तू सूरत से सुन्दर, सीरत से साफ़ लगे, हर आईना भी शर्मां जाये | तू वक़्त बने, मै घड़ी बनू, समय के साथ हम ढल जाये। मै माटी का दिया बनूँ,तू दिए की वो लौ बने, रोशन कर शमां,अंधकार को मिटा जाये। मै शायर बनू,तू मेरी शायरी बने पढ़ के दुनिया ये बेगानी बने। कुछ इस तरह ख्यालों में डूब जाऊं ,  मजबूत इरादों की दास्ताँ जगा जाऊं। तू दिल से तो पुकार मुझे मै पुरानी यादों जैसे लौट आऊं। तू लहर लहर सी बहती जाये मै किसी दरिया का किनारा बन जाऊ ।।

सादग़ी सी ज़िन्दग़ी

मेरे पंखों को उड़ने से मत रोको ये ज़रिया है किसी माँ-बाप की उम्मीदों का। माना कि साथ नही हाँथ की लकीरे मगर ये जिंदगी तकदीर से बड़ी, किस्मत से छोटी तो नहीं ये सिलसिला है उन लिहाजों का, जज्बातों का। जिनकी बातें आम है, वो छुपे हुए आंसुओं  की ताक़त का परिणाम है राज जो दफ़न है सीने में पर ख्याब मुक्कमल है जीने में रूह के सुकून के लिए। वक़्त ठहरा न कभी, सपनों के जूनून के लिए चाहे लाख पहरे हो मोड़ पर साहस भरे तूफ़ान से राहों में, उन पहरों को तोड़ कर उन बाधाओं को पार कर ये दिल दरिया है, साथ देना है जिसे तेज बहाव का ध्यान कहाँ उसे उस पतझड़ में फ़सी नाव का मुश्किलें हजार है मुकाबले अपार है फिजूल अहंकार है चारो तरफ मचा हाहाकार है जिनकी बस यही पुकार है "दूसरों के काम की हो निंदा मजा है ये ,हूँ मै क्यूँ शर्मिंदा?" ये किस्सा है उन बेचैनीयों को खामोश करने का। जिनमे बस इंतज़ार की आस है । तेरी हर कामयाबी की वक़्त को भी तलाश है ।।

Terrifying Nights

Shadows that grows in the dark always stable and survive with stark. dreams reading the narration Remind the thoughts of our imagination when clock stuck over midnight mind reveals the hidden truth fear depends on just one light it's evil in form of Sleuth Tough to dream, what to say! Demons think of its way Some nightmares scream louder, then sound of the dog. Later, awake the body faster. now, it senses the depth of monsoon. Clouds with lightning and thunder, seems like a sky without the moon.

Independent! really are we?

Expectations forced onto us from the society, we need for the quality, we lead that raised the voice of freedom from the speech of politicians to the rules of kingdom. still bound by the laws and rights that remind the moment of violence yet division and partition arise the fights mostly decisions are hidden in silence remembering the 72 years of peace from the women era to education choice may love surrounds countries with rejoice When we listen to the voice of the deeps At the stroke of midnight hours when the world sleeps india will again awake to life and freedom "Instead of falling in ditches, let's break the walls and make bridges"

Shadow of my life

You are the light, which falls on my dark fate searching for the infinite that is reserved for the soulmate I miss the color bright after watching the countless stars on my knees in the night heart brought the tears for wars later, said the prayer in the street light still feels, you can smile may not for your desires but for faces of the cruel world When the program of life you compile, the sound of raining get turned out pearled On my destiny, whenever I look back to see you, I lose my identity

हे पथिक, तू है निराश क्यों

हे पथिक, तू है निराश क्यों चार दिन की ज़िन्दगी फिर क्यों नफरत की गंदगी ख्वाइशो को काबू कर ख्वाब को मुकम्मल कर दिखावे से दूर, अपना ले सादगी हे पथिक, तू है हताश क्यों तू है काबिल हर मोड़ पर बस छुपी ताकत को जान ले हर दिशा को तू पहचान ले हर मुकाम लगे आसान खुद को ऐसे निहार ले बची हुई ज़िन्दगी सवाँर ले मौत है सबकी मुन्तजिर फिर मरने की है आस क्यों जुबां से न कर खुद को ज़ाहिर हर चुनोतियों में हो हाज़िर बना ले सोच को ऐसे ताहिर लफ़्ज़ों का त्यौहार मना कलम को हथियार बना हे पथिक,तू है खामोश क्यों अपने आशियाँ की खोज में दर बदर भटक रहा क्यों, रख हौसला , है चंद फासला इंसानियत की मिशाल बन कमजोरों की तू ढाल बन क्रोध का कर विनाश यूँ हे पथिक,तुझे है तलाश क्यों

शब्द कहाँ से लाऊं

जो दिल से लिखे थे अल्फ़ाज़ मैंने मिट गये वो इस मगरूर से लोगो को गिराने में , अहसानों में दब गयी आवाज मेरी अब सुनाने के लिए वो शब्द कहाँ से लाऊं । यादों में बह चला है मुसाफिर चंद दूर थी मंजिल, बस साहस की कमी रह गयी खुद को समझ पाना मुश्किल तो नहीं पर अब धुन्दला सा देखे ये नज़र शायद आंखों में नमी रह गयी मुश्किल है राहें,  उनमे चलने के हालात कहाँ से लाऊं । अब वो दौर कहां श्रोताओं का शौक़ीन जमाना ये नेताओं का ऐसे बेरंग दिनों में जुबां पर वो बात कहाँ से लाऊं। कुछ नज्मे बचा कर रखी थी मैंने सोचा था फुर्सत ए महफ़िल में सुनाऊंगा निराश मन से काबिलियत और हुनर ये छिपाऊँगा  जो दर्द बचा है सीने में उसे बयाँ करने के लिए वो जज्बात कहां से लाऊं ।

प्रेम

तुम्हारी बातों की मिठास में, खुद को भिगोने आया हूँ, तुम्हारे गीतों के रस में, खुद को डुबोने आया हूँ | गर इलज़ाम है तुझको  तो ज़िक्र दूसरों से न करना  खिलाफ है दुनिया यहाँ  मै सागर से ऐसा मोती चुरा लाया  हूँ | झूठी ये तकदीरे  कोई फरेबियत नहीं इन आंखों की  उलझी सी लकीरे, इन हाथों की  वक़्त बेवक़्त इनको सुलझाने आया हूँ.| खफा हो खुदा भी अगर मै कुछ पल की ज़िन्दगी सवारने आया  हूँ | दिल में  प्यार,सपनों का संसार मै  जन्मों का साथ निभाने आया हूँ| तेरे दर्द की साजिश में, तेरे अश्कों की बारिश में मै खुद को भिगोने आया हूँ | भीनी-भीनी खुश्बूं बरसाती मिट्टी की  बरसात में उसका इत्र बनकर  तुझमे संजोने आया  हूँ | जीने का मक़सद समझ आया नहीं मगर, फिर भी  दूसरों  की तकलीफ समझने आया  हूँ | नफरतों में बंद जो मुस्काने है उनको आज़ाद कर मै प्यार का बीज बोने आया हूँ  ||

शायद कुछ अधूरा सा हूँ मैं

शायद कुछ अधूरा सा हूँ मैं   कुछ आवाज़े है जो इस  सन्नाटे में सोने नहीं देती  मन की बातें जीने नहीं देती  वक़्त की तेज़ रफ़्तार में रोने नहीं देती  शायद कुछ अधूरा सा हूँ अभी  वो मुक़ाम इ महफ़िल ढूंढ़ता था कभी  अब धुंदले से हो गए है वो नज़ारे  जिन्हे काटों से बचाते थे सारे  शायद कुछ अधूरा सा हूँ  मै उन किस्सों में हमारी कोई बात नहीं होती  भुला बैठे है अपने ही अपनों  को  गैरों में तो औकात नहीं होती  शायद कुछ अधूरा सा हूँ  मैं  दिल की आवाज़  पूंछती है क्या हाल है मेरा  पुराने दर्द जो उभर आते है  मरहम से भरे कुछ गीतों में  उन पुराने नगमों से सवार जाते  है  हर एक सांस में बसा है क़िस्सा  तेरा  थोड़ी धुप और थोड़ी छाव है हिस्सा मेरा  शायद कुछ अधूरा सा हूँ मैं  आसमान पूछे बादल से  क्यों रुख मोड़ लिए इन सर्द हवाओं ने  कब से रहे पुकार  बारिश की चाहत है इस बार  धरती और अम्बर का प्यार ,अपार  मह...

किताबों सा साथी

किताबों सा साथी, सच्चा सहपाठी | हैरत में है ये तलाश,  कहाँ गुमशुम है  ये विलुप्त प्रजाति || बेचैन रहती हैं ये बंद क़िताबें महीनो अब मुलाक़ात नहीं होती| आज मसरूफ रहकर भी किताबों से  पन्नो में दर्द लिए, खुशनुमा प्रभात नहीं  होती | जो किस्से और खबरे वो सुनाती थी, इनके लफ़्ज़ों  में हयात नहीं  होती|  जो रिश्ते वो दिखलाती थी, ख़ामोशी  में भी रूह को फरहात नहीं होती| जो शामें उनकी आदत में टिका करती थी कभी, आज नज़रें मिलने पर बिन बादल बरसात नहीं  होती| अब उनमे डूब कर भी लम्बी रात नहीं होती, आज किताबी मुस्कान में वो खुरापात नहीं होती| दिल को छू जाये जो अल्फ़ाज़ , शब्दों के खेल में वो बात नहीं होती |

Sweet Night

After the sunset, beauty shines in the dark just like flower glowing in the deep night silent souls, asleep thought in the park relief footprints with great delight rain droplets murmuring on the cold wet grass  captures like dreams got some class. 

कुछ पल के लिए सही

कुछ पल के लिए सही झूठ को सच मान के गिर कर संभल के ख्वाब के समुँदर में डूब जाते है, ये वक़्त की लहरे है जिसमे खो जाने से ,लम्हें जिंदगी का अहसास दिलाते है, कुछ पल के लिए सही दिल बहलाने के लिए बस खामोश रहों, बोलने से दिल में जज्बात कम हो जाते है। चलो आज बेफ़िक्र हो कर, हवाओं में प्यार के गीत गुनगुनाते है | कुछ पल के लिए सही ||

गर्मी

गर्मी में पानी का मोल अमृत से कुछ ऐसे कर डाला पास रहकर भी दूर लगने लगी है पाठशाला। अपनापन सा लगता है अब तो इन चारदीवारों में  रूह को सुकून,पथिक को राहत  गरजते बादल,बारिश की चाहत धूप में छाया,ठंडी हवा का साया, मौसम के मिजाज में हो ऐसी इबादत जैसे डॉ° हरिवंश राय बच्चन की "मधुशाला"।।

नादान सवाल

नादाँ सवाल बचपन की सोच करे सवाल  आसमान नीला क्यों है  ? दिल था बेकरार,करे बवाल बेफिक्रा सा पूछे ये सवाल समुन्दर गीला क्यों है  ? निगाहों में सपने लिए जब उड़ा था मैं पलकों में ख्वाब सजाये बेपरवाह गुस्ताखियाँ करते  तब नींद से जग चूका था मै  अब उम्मीदों में ही कायम ए ज़िन्दगी सफ़र में मंज़िल भूल चूका था मै लकीर होती अगर हाथ में तकदीर होती साथ में दवाएं भी न करे कमाल  दुआओं में कुछ बात होती गर फिर ताजमहल पीला क्यो है ? न जाने कितनी चुनौतियों में दौड़ा चला जा रहा,  इंसान में भी जानवर पला  जा रहा, वक़्त सबको जीना सिखा रहा | कभी पेड़ की छाया तो कभी ममता का सुख है  पाया, धुप भी छुप जाती है जब होता है साँझ का साया | इन्हीं दिनों में अक्सर बढ़ जाती है मोह की माया ||  फिर भी बेवजह दिल पूछे ये सवाल इंसानी मिजाज शर्मीला क्यों है ?

पुराने ख़यालात

पुराने ख़यालात आज से वास्ता है मेरा मुझे कल का कुछ भी याद नहीं दुनिया के रैनबसेरे में भुला बैठा बचपन वो शाम को यारों की महफ़िल में अनबन सपनों को हकीकत में तब्दील होना तो दूर मुझे मेरे सपने तक याद नहीं मुझे कल का कुछ भी याद नही वो हादसे का गम,आँखों का नम बहकी सी हवाएँ, वो प्यार भरी अफवाहें बीते कल से क्या नाता मेरा, आने वाले कल का कुछ पता नहीं वक़्त में खो जाने की फुर्सत नही, अब तो काम में मगरूर आँखे आखिरी बार का सलाम भी याद नहीं मुझे कल का कुछ भी याद नहीं | जब काटों में चलने पर बहिस्कार किया था मैंने अब फूल भी मुरझा जाये ,इंकार है मुझे आज राहों में दुश्मन भी स्वीकार है मुझे बस एक उम्मीद का इंतजार है मुझे इस तपती गर्मी में ,बारिश भी याद नहीं पतझड़ का मौसम भी याद नहीं  बेफिक्र सा लगे ये पल, कोई चह-चहाते पक्षियों की फरियाद नहीं.  मुझे कल का कुछ भी याद नहीं ||

A Disputed Journey

"Sudden plans are awesome but sometimes it spoils the journey" An old train passing through the land of grain rushing the human's brain made the traveler insane but remind the society's pain However, suffering dark day with a new beginning within There was an infant traveling with his mum She was the strongest women ever with the baby lying in her laps people saw the flaws but failed to notice her strength, embracing it I was about to sleep Suddenly my bag fall on her head Her hairs were mixed with red Her husband was little ahead She cried, public's blessing and ointment tried finally, the bleeding stopped and she smiled Her Station arrived, she went peacefully without saying any words. the moment made me  realize humanity and situation, I analyze the more you close with the society more you know life's clarity parents sacrificed their happiness for our needs and we still engaged with greeds

Sensational Story

Every story is sensational for society which doesn't understand the equality their basic needs cry for humanity later on, ego demands royalty Once marshmallow said to oreo Let's melt together without caring about the weather This love between us Is it your game or my destiny? asked oreo, It's not the love you admire  it's a lust, which you desire! I am your secret love you might not know your smile makes my mind slow but I will marry you someday I remember your fragrance which melt my heart when you approach the range of depart it's the connection between 2 souls might set the future goals marshmallow replied

इख़्तियार

ये अँधेरा है  जो कब से बेताब है कुछ नया ख्वाब दिखलाने को, और एक सुबह है  जो रोशनी में समेट ले सारे जहाँ के सितारे को, मुन्तज़िर है ये खुर्शीद जो दिखाये जन्नत-ए-तस्लीम रूबरू है मसला ख्वाइश है आसमां को क़ल्ब से निहारने की जो नूर सी चमकती  आफरीं है, नायाब है खामोश सी रातों में  वो फलक से फ़कत एक महताब है, जो लग जाता है  इतनी शिद्द्त से  सारे ख्वाब मिटाने को ।।

ख्वाबी परिंदे

ख्वाबी परिंदे   तलबगार हूँ उन लफ़्ज़ों का  जो ख़त से निकलते थे कभी बनकर कोई मशीयत भरे अलफ़ाज़  आज रहे गए बन कर सिर्फ आवाज़ आसमां से टूटते सितारे ऐसे फलक से उतरे हो कई परिंदे जैसे  जिन्हे उड़ते देख ख्वाइशें पूरी होती वैसे  ए खुदा     बख़्श  दे इन परिंदों को   जिनकी पूरी न होती आज़ादी की मुराद  भूल बैठा हूँ कुछ अफ़साने  मुक़्क़मल हो जाता है तराने  जब शुरू होता है इनका आग़ाज़  यही क्या कम है ,जब होता है लिहाज़  जिनकी इबादत में ही होके मशहूर  खो गया हूँ इस क़दर    चढ़ गया इसका फितूर  अधूरी सी है  ज़िन्दगी की एहमियत  भूल  बैठा वो शिद्दत और जुनूनीयत  मुश्किल से मिलते है मोती समंदर में  खामोश लगती है इनकी गहराईयां  तलब है,रग़बत है, मेरे दरमियाँ    दर्द में मशरूफ है इनका क़ाफ़िला  ढूँढ़ते रहे तदबीर बनाकर कोई फलसफा 

Naked Vision

Shapes in the dark hide my shadows to raise the spark. many imperfections are seen by eyes that never lies wish to chase the skies. thoughts deeper than the ink smile sweeter than the wink might be a reason to think ahead a vision. but reality exists in the world hidden somewhere in the heart it appears only when fall from the hope of desert bless me god with thy shiny light forgive sins of the impure soul lives in such dark, black night demands freedom from the depressions struggling with thousands of questions heal me with peace, love, and joy I am not stable so please hold me tight somehow I follow my shadows in search of a path which is right holding on the promise I waited forever in rainy nights and cloudy morning. my mind was dull, surrounded by the violence of the time unseen clouds, value as null heart conquered the head it controls the command of mind when asked, after all You need...

Farmers :real heroes

Farmers,  our local heroes, the backbone of India who feeds millions of people without being loyal to health still smiles while having insufficient wealth   Sweat is the proof of their sacrifices just dream to rise the overprices their demands are compressed over the rules, whose children wish for the high schools, kiss the dust, to taste the hard work of our farmers they deserve respect and autonomy, To know their contribution to our economy. go through the past statistics, working late during harvest, worshiping for the rains, are the hope of desires. made their social life slowest. Their determination is enough for the protest. The moment, against any injustice they fight, Now marching for the basic needs and right. Imagine the pain that made them walk a thousand miles, From skipped meals to the bursts foot releasing their tears with fake smiles. Jai jawan , Jai kisan

कुछ बातें बतानी ज़रूरी सी हो गयीं है

कुछ बातें बतानी ज़रूरी सी हो गयीं  है कुछ बातें बतानी ज़रूरी  सी  हो  गयी  है कुछ लफ़्ज़ों से इनायत सी हो गयी है  आज भी जब वो शब्द गूंजते है इन कानो में  तो लगता है जैसे वो बीते लम्हे,कल की ही बात हो  इस क़दर उनकी आदत सी हो गयी  है , जब से होश सभाला है ,खुद को आज़ाद समझता हूँ मैं मानो परिंदो को मिल गया उनके ख्वाब का खजाना  अब तो ये फितूर भी बन गया है पासबान मेरा  जो अश्क़ के क़तरों से भर दे पैमाना    जो बेवजह ही भरते है जुर्माना मेरा  मुझे उस क़िस्से से नफरत सी हो गयी है  कुछ बातें बतानी ज़रूरी सी हो गयी है  झूठे वादों में उलझा था मै मुझे याद है वो बारिश  जिसमे कोई आहट सी होती थी और जब नज़रे भीगते ही  मन में जज्बातों की सरसराहट सी होती थी  दिल में छप जाते है कुछ अफ़साने  मानो किसी रंजिश में हो ये बादल सारे  जैसे मिल गए हो भीगे इंसान को आशियाने  वो बारिश की बूंदे सुनाती है कुछ सुकून-ऐ-दास्ताँ ...

ये मोमबत्ती

ये मोमबत्ती  रात भर जलती  जिंदगी भर पिघलती  कभी किसी आहट से शर्माती  तो कभी गम में डूब जाती  ये  मोमबत्ती   जो अन्धकार में भी निडर रहती किसी के लिए ख़ुशी का माहौल बनती  तो  कभी दुःख में साथ निभाती  ये मोमबत्ती बचपन में खेल बन जाती  कभी बुढ़ापे में उजाले का सहारा बन जाती  तो कभी गरीबों के काम आ जाती   ये मोमबत्ती  दिवाली में जग को रोशन कर  जाती  तो कभी हवाओं का अभिशाप बन जाती  कभी  शहीदों को नमन करती    तो  कभी घमंड में सबका सर झुकाती ये मोमबत्ती  फिर भी हिम्मत से लड़ती रहती  सबको जिंदगी जीना सिखा देती  ये मोमबत्ती