सवाल कर न सके तो
हम बेबाक ख्वाबों से परे ही सही ।
मंजिल मिल न सके तो
हम ख्यालों की दुनिया मे घिरे ही सही।
तकदीर का साथ न बन सके तो
हम लकीरों से अधूरे ही सही ।
फिक्र गुम है कहीं पन्नों में
जुनून ये कलम है,
अल्फाजों की अमानत है, सपनों में
वक़्त की तेज रफ़्तार में
संभालने को बचा कुछ है ही नही ।
आवाज न बन सके तो
हम शब्दों के सहारे ही सही ।।
तेज लहरों से न खेल सके तो
हम दरिया के किनारे ही सही ।।
घर मे आशियाँ न मिल सके तो
हम किराये की छत के तारे ही सही ।।
कीमती उपहार न दे सके तो
हम ह्रदय में छुपे सितारे ही सही ।।
दर्द में मुस्कराना सीख न सके तो,
मुस्कुराहट में छिपे दर्द को पहचान न सके तो,
हम झूठी हँसी के जादुई पिटारे ही सही ।।
पुराने ख्यालात को संभाल न सके तो
किसी डर से जज़्बात न बता सके तो
हम खामोश इशारे ही सही ।।
ज़िन्दगी को खूबसूरत बना न सके तो,
दुनिया को अपना बना न सके तो,
हम माँ-बाप के प्यारे-दुलारे ही सही।।
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