तू लहर-लहर सी बहती जाये,
मै किसी दरिया का किनारा बन जाऊ।
तू विशाल पेड़ की ठंडी छाया बन जाये,
मै तेरी सड़को का भटकता रही बन जाऊं,
एक दूजे के बिन रहा न जाये। ।
मै ऐसे आसमां का सितारा बन जाऊं।
तू बंद लिफ़ाफ़े की चिठ्ठी सी,
मै शब्द बन कर अल्फाजों को सुना जाऊ ।
तू आसमाँ की परी सी,
मै बादल बन तुझमे समा जाऊ ।
मै सुलगती धरती का वो प्यासा हूँ,
तू बारिश बन कर भीगा जाये ।
तू सूरत से सुन्दर, सीरत से साफ़ लगे,
हर आईना भी शर्मां जाये |
तू वक़्त बने, मै घड़ी बनू,
समय के साथ हम ढल जाये।
मै माटी का दिया बनूँ,तू दिए की वो लौ बने,
रोशन कर शमां,अंधकार को मिटा जाये।
मै शायर बनू,तू मेरी शायरी बने
पढ़ के दुनिया ये बेगानी बने।
कुछ इस तरह ख्यालों में डूब जाऊं ,
मजबूत इरादों की दास्ताँ जगा जाऊं।
तू दिल से तो पुकार मुझे
मै पुरानी यादों जैसे लौट आऊं।
तू लहर लहर सी बहती जाये
मै किसी दरिया का किनारा बन जाऊ ।।
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