प्यार और दोस्ती में,
दोस्ती हमें प्यारी लगे ।
दुनियादारी और यारी में,
यारी हमें न्यारी लगे ।
याद हमें आने लगे
बचपन के वो हसीन पल
जब मिले दोस्तों से
लौट आया गुज़रा हुआ कल
दोस्ती की दास्ताँ
में सारी जिंदगी कुर्बान
कभी मिलकर बैठे जहाँ
अब ढूँढती नज़र वहाँ
फुरसत हो तो जमा लो महफ़िल
गाए बस यहीं जुबान
दो दिल एक जान ।
यारों में खुदा हो बसा जैसे
फिर यारों के खिलाफ जाऊ कैसे
उन यादों में डूब जाऊ ऐसे ।
प्यार और दोस्ती में,
दोस्ती हमें प्यारी लगे
परी और यारी में
यारी हमें न्यारी लगे
अटूट हो हमारी दोस्ती ऐसी
फीकी पड़ जाये
कृष्णा और सुदामा की दोस्ती।
वो गालियाँ भी संस्कारी लगे
तारीफों की बौछार में
अल्फाज भी शायरी लगे
ज़िन्दगी के हिस्से में
नफरतों भरे किस्सों में
दुश्मनों की चेतावनी देती हिदायत
लगे जैसे कोई कयामत
फिर जब यारों की हो इबादत
हर मोड़ पर दोस्तों ने रखा सलामत
मिटे मतभेद के सिलसिले
जब-जब महफ़िल में फूल खिले
जब रास्ते में कांटे मिले
तब पुरानी गलियों में
दोस्ती का मरहम मिले
वक़्त की अमानत में
दुनिया ये जूआरी लगे
प्यार और दोस्ती में,
दोस्ती हमें प्यारी लगे
दुनियादारी और यारी में,
यारी हमें न्यारी लगे ।।
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