क्या फर्क पड़ता है
किसी का मज़ाक बन रहा हो
उसे लोग जोकर कहते है अब
औरों को रोता देख हसते है सब
क्या फर्क पड़ता है
जब मर्ज़ हद्द से ज़्यादा बढ़ जाए
जब मरीज़ बेहाल हो जाए,
सेहतमंद है जो,
काश कोई इंसानियत भी सभाल पाए
क्या फर्क पड़ता है
अगर वो लड़की है
उसके कपडे पहनने के ढंग पर सवाल उठाते हो तुम
उसकी मर्ज़ी पर अपना हक़ जताने वाले होते कौन हो तुम
क्या फर्क पड़ता है
जिस अपनापन से तुमने इज़हार किया
किसी के इंकार करने पर उसी को हैवानियत का अंजाम दिया
क्या फर्क पड़ता है
कहा गया वो गुस्सा जो
फिल्मों के बहिष्कार में होता है
जब किसी लाचार बच्ची का शोषण कर उसे मार दिया जाता है
उस दिन सारा समाज सोता है
क्या फर्क पड़ता है
उस पढाई का जो
मानवता से दाग को न हटा सके
बेटा-बेटी के भेद को न मिटा सके
बस अफ़सोस और गुनाहों के किस्से बता सके
क्या फर्क पड़ता है
अँधेरा होने के बाद
घर से बाहर न निकलने की राय बताते है
लोग क्या कहेंगे
लोग ही लोगों से डराते है,
आवाज़ उठा दी दी जरा सी भी तो
वो बद्तमीज़ी और मानसिकता के संकेत को दर्शाते है
क्या फर्क पड़ता है
जिस भाई जैसे रिश्ते को भी शर्मशार कर देते हो
जो दुसरो की बहनों की हिफाज़त न कर पाए
और उसे तुम प्यार कहते हो
क्या फर्क पड़ता है
प्यार और भरोसे का धागा अब टूट रहा
फिर से मानवता का दामन अब छूट रहा
किसी का मज़ाक बन रहा हो
उसे लोग जोकर कहते है अब
औरों को रोता देख हसते है सब
क्या फर्क पड़ता है
जब मर्ज़ हद्द से ज़्यादा बढ़ जाए
जब मरीज़ बेहाल हो जाए,
सेहतमंद है जो,
काश कोई इंसानियत भी सभाल पाए
क्या फर्क पड़ता है
अगर वो लड़की है
उसके कपडे पहनने के ढंग पर सवाल उठाते हो तुम
उसकी मर्ज़ी पर अपना हक़ जताने वाले होते कौन हो तुम
क्या फर्क पड़ता है
जिस अपनापन से तुमने इज़हार किया
किसी के इंकार करने पर उसी को हैवानियत का अंजाम दिया
क्या फर्क पड़ता है
कहा गया वो गुस्सा जो
फिल्मों के बहिष्कार में होता है
जब किसी लाचार बच्ची का शोषण कर उसे मार दिया जाता है
उस दिन सारा समाज सोता है
क्या फर्क पड़ता है
उस पढाई का जो
मानवता से दाग को न हटा सके
बेटा-बेटी के भेद को न मिटा सके
बस अफ़सोस और गुनाहों के किस्से बता सके
क्या फर्क पड़ता है
अँधेरा होने के बाद
घर से बाहर न निकलने की राय बताते है
लोग क्या कहेंगे
लोग ही लोगों से डराते है,
आवाज़ उठा दी दी जरा सी भी तो
वो बद्तमीज़ी और मानसिकता के संकेत को दर्शाते है
क्या फर्क पड़ता है
जिस भाई जैसे रिश्ते को भी शर्मशार कर देते हो
जो दुसरो की बहनों की हिफाज़त न कर पाए
और उसे तुम प्यार कहते हो
क्या फर्क पड़ता है
प्यार और भरोसे का धागा अब टूट रहा
फिर से मानवता का दामन अब छूट रहा
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