नादाँ सवाल
बचपन की सोच करे सवाल
आसमान नीला क्यों है ?
दिल था बेकरार,करे बवाल
बेफिक्रा सा पूछे ये सवाल
समुन्दर गीला क्यों है ?
निगाहों में सपने लिए
जब उड़ा था मैं
पलकों में ख्वाब सजाये
बेपरवाह गुस्ताखियाँ करते
तब नींद से जग चूका था मै
अब उम्मीदों में ही कायम ए ज़िन्दगी
सफ़र में मंज़िल भूल चूका था मै
लकीर होती अगर हाथ में
तकदीर होती साथ में
दवाएं भी न करे कमाल
दुआओं में कुछ बात होती गर
फिर ताजमहल पीला क्यो है ?
न जाने कितनी चुनौतियों में दौड़ा चला जा रहा,
इंसान में भी जानवर पला जा रहा,
वक़्त सबको जीना सिखा रहा |
कभी पेड़ की छाया
तो कभी ममता का सुख है पाया,
धुप भी छुप जाती है
जब होता है साँझ का साया |
इन्हीं दिनों में अक्सर
बढ़ जाती है मोह की माया ||
फिर भी बेवजह दिल पूछे ये सवाल
इंसानी मिजाज शर्मीला क्यों है ?
Comments
Post a Comment