तुम्हारी बातों की मिठास में, खुद को भिगोने आया हूँ,
तुम्हारे गीतों के रस में, खुद को डुबोने आया हूँ |
गर इलज़ाम है तुझको
तो ज़िक्र दूसरों से न करना
खिलाफ है दुनिया यहाँ
मै सागर से ऐसा मोती चुरा लाया हूँ |
झूठी ये तकदीरे
कोई फरेबियत नहीं इन आंखों की
उलझी सी लकीरे, इन हाथों की
वक़्त बेवक़्त इनको सुलझाने आया हूँ.|
खफा हो खुदा भी अगर
मै कुछ पल की ज़िन्दगी सवारने आया हूँ |
दिल में प्यार,सपनों का संसार
मै जन्मों का साथ निभाने आया हूँ|
तेरे दर्द की साजिश में,
तेरे अश्कों की बारिश में
मै खुद को भिगोने आया हूँ |
भीनी-भीनी खुश्बूं बरसाती मिट्टी की
बरसात में उसका इत्र बनकर
तुझमे संजोने आया हूँ |
जीने का मक़सद समझ आया नहीं मगर,
फिर भी दूसरों की तकलीफ समझने आया हूँ |
नफरतों में बंद जो मुस्काने है
उनको आज़ाद कर
मै प्यार का बीज बोने आया हूँ ||
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