ये मोमबत्ती
रात भर जलती
जिंदगी भर पिघलती
कभी किसी आहट से शर्माती
तो कभी गम में डूब जाती
ये मोमबत्ती
जो अन्धकार में भी निडर रहती
किसी के लिए ख़ुशी का माहौल बनती
तो कभी दुःख में साथ निभाती
ये मोमबत्ती
बचपन में खेल बन जाती
कभी बुढ़ापे में उजाले का सहारा बन जाती
तो कभी गरीबों के काम आ जाती
ये मोमबत्ती
दिवाली में जग को रोशन कर जाती
तो कभी हवाओं का अभिशाप बन जाती
कभी शहीदों को नमन करती
तो कभी घमंड में सबका सर झुकाती
ये मोमबत्ती
फिर भी हिम्मत से लड़ती रहती
सबको जिंदगी जीना सिखा देती
ये मोमबत्ती
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