हर बार पिघल जाता हूँ मै
जब तुम्हारी आँखे इशारों में कुछ कह सी जाती है
तुम्हारी आहट से ये सांसे बहक सी जाती है
मुश्किल में आ जाता है ईमान मेरा
हर शख्त इंसान की छाया को होता है अफशोस तेरा
जब मूड हो खराब सो जाना
फिर सुबह नया सा मुस्कुराना
जब भी वक़्त मिले याद कर लेना
अनबन सी लगे गर कभी तुम्हे
तो मिल कर गिले शिकवे सुना देना
और जब पेट भर जाये हमारी बातों से
अपने बोल को इशारों से बयाँ करना
महसूस हो कभी अगर हमारी कमी
तो नम आँखों से अपने दिल की सुनना
धडकनों में तूफ़ान की लहर सी आये
जब बारिश की चाहत तुम्हे सताये
दिल खोल कर हँसना और कहना
इन लम्हों में दिल कि फरमाइश कुछ ऐसी हो कि
आवाज तुम्हारी हो, शब्द हमारे हो
नाम तुम्हारा हो,पहचान हमारी हो
इज़हार तुम्हारा हो, इकरार हमारा हो
मन तुम्हारा हो, सोच हमारी हो
सादगी तुम्हारी हो, दिल्लगी हमारी हो
ज़िन्दगी तुम्हारी हो, जान हमारी हो
आज इन हवाओं के रुख को बदलने दो
कभी गिरकर खुद को संभलने दो
काश हमारी पहचान भी इन किताबों के पन्ने जैसी होती ,
कभी समझते तो कभी रटते रहते
उन ख्यालों में ऐसा लगता
जैसे इन शब्दों के दाग कहते रहते
बेवजह ये मौसम भी रंग बदलते रहते |
जब तुम्हारी आँखे इशारों में कुछ कह सी जाती है
तुम्हारी आहट से ये सांसे बहक सी जाती है
मुश्किल में आ जाता है ईमान मेरा
हर शख्त इंसान की छाया को होता है अफशोस तेरा
जब मूड हो खराब सो जाना
फिर सुबह नया सा मुस्कुराना
जब भी वक़्त मिले याद कर लेना
अनबन सी लगे गर कभी तुम्हे
तो मिल कर गिले शिकवे सुना देना
और जब पेट भर जाये हमारी बातों से
अपने बोल को इशारों से बयाँ करना
महसूस हो कभी अगर हमारी कमी
तो नम आँखों से अपने दिल की सुनना
धडकनों में तूफ़ान की लहर सी आये
जब बारिश की चाहत तुम्हे सताये
दिल खोल कर हँसना और कहना
इन लम्हों में दिल कि फरमाइश कुछ ऐसी हो कि
आवाज तुम्हारी हो, शब्द हमारे हो
नाम तुम्हारा हो,पहचान हमारी हो
इज़हार तुम्हारा हो, इकरार हमारा हो
मन तुम्हारा हो, सोच हमारी हो
सादगी तुम्हारी हो, दिल्लगी हमारी हो
ज़िन्दगी तुम्हारी हो, जान हमारी हो
आज इन हवाओं के रुख को बदलने दो
कभी गिरकर खुद को संभलने दो
काश हमारी पहचान भी इन किताबों के पन्ने जैसी होती ,
कभी समझते तो कभी रटते रहते
उन ख्यालों में ऐसा लगता
जैसे इन शब्दों के दाग कहते रहते
बेवजह ये मौसम भी रंग बदलते रहते |
Comments
Post a Comment