एक पल याद आया था
फिर बहुत रुलाया था
जिसने मुझे लिखने पर मज़बूर बनाया था
वो मासूम बच्चे
जो अब इस आस में बैठे है
कि कब उनके सपने पूरे होंगे
चंद पैसों के लिए
अपने ख्वाब को बिखरता देख रहे |
वो मासूम बच्चे
जो अब गुलामी के अधेरों में कैद है
जिसका क़ानून तो है ,सुनवाई नहीं |
वो मासूम बच्चे
जिनके ख्वाबों से सज जाती है तकदीर कोई
जिनकी मुस्कान से बन जाती है तस्वीर नई |
वो मासूम बच्चे
जो कभी सरताज़ हुआ करते थे
आज वहीं बेबस और लाचार सड़कों पर घूम रहे |
वो मासूम बच्चे
जो अब इस दुनिया में नहीं रहे गए
जो शोषण का शिकार होकर
ज़िन्दगी के दीपक को बुझा गए |
वो मासूम बच्चे
जो हाथों में गुब्बारे लिए,आँखों में सपना
जिनकी फ़िक्र कर रहा है कोई अपना |
वो मासूम बच्चे
जो अब ४ पैसे की टॉफ़ी पर नहीं
बल्कि प्यार को तरसते है |
कुछ दर्द बचाकर रखा है
कुछ साँसे बचाकर रखी हैं
कुछ होश बचाकर रखा है
कुछ बातें बचा कर रखी हैं ||
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