पुराने ख़यालात
आज से वास्ता है मेरा
मुझे कल का कुछ भी याद नहीं
दुनिया के रैनबसेरे में भुला बैठा बचपन
वो शाम को यारों की महफ़िल में अनबन
सपनों को हकीकत में तब्दील होना तो दूर
मुझे मेरे सपने तक याद नहीं
मुझे कल का कुछ भी याद नही
वो हादसे का गम,आँखों का नम
बहकी सी हवाएँ, वो प्यार भरी अफवाहें
बीते कल से क्या नाता मेरा,
आने वाले कल का कुछ पता नहीं
वक़्त में खो जाने की फुर्सत नही,
अब तो काम में मगरूर आँखे
आखिरी बार का सलाम भी याद नहीं
मुझे कल का कुछ भी याद नहीं |
जब काटों में चलने पर बहिस्कार किया था मैंने
अब फूल भी मुरझा जाये ,इंकार है मुझे
आज राहों में दुश्मन भी स्वीकार है मुझे
बस एक उम्मीद का इंतजार है मुझे
इस तपती गर्मी में ,बारिश भी याद नहीं
पतझड़ का मौसम भी याद नहीं
बेफिक्र सा लगे ये पल,
कोई चह-चहाते पक्षियों की फरियाद नहीं.
मुझे कल का कुछ भी याद नहीं ||
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