In the memory of my friend who is no more in this world *
कल कई दोस्त पुराने दिखे थे,
फ़िर ख़्वाब की तस्वीरों में तुम मिले थे।
वक़्त के चक्रव्यूह में कुछ बात न हो पाई,
जब लौट के देखा मुड़कर हमनें,
फिर कभी मुलाक़ात न हो पाई ।
वो ज़माने से खफ़ा हो चले थे ,
दर्द सीने में लिए ,
न जाने कितने जफ़ा के मसले थे।
न जाने कितने अश्क़,
यादोँ की कश्ती में बह चले थे।
जो रोशन करने में तुले थे,
वो ख़्वाब अधूरे हो चले थे ।
वाकिफ़ तो नही थे इस ख्वाइश से
कि मिलेंगे इस कदर हम,
अतीत के खुशनुमा सवेरे
दुखभरी शाम बन ढले थे ।
साथ जीने के अरमान दिल मे पले थे ।
परेशान थे इस खौफ़ से,
कभी अलग न हो हमारे रास्ते,
घर के चिराग रोशनी तले थे
दोस्तों में तुम सबसे भले थे ।
(*जफ़ा-उत्पीड़न)
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