मुझे मेरे अँधेरे की तलाश है..
आँखों में चुभता ये प्रकाश है..
ख़्वाबी तस्वीरों में कैद जो अपनी लाश है..
देख कर रोशनी रूह भी हताश है..
मुझे मेरे अँधेरे की तलाश है..
इसमें न भूख है, ना प्यास है..
न मैं, न मेरी ज़िन्दगी अय्याश है..
दिन-ए-महफ़िल में गीत भी निराश है..
डर कर लब बोले,आज गले में ख़राश है..
मुझे मेरे अँधेरे की तलाश है..
अब न कोई पछतावा, न ही 'काश' है..
बेखौफ हूँ मैं,लंबी रात जो मेरे पास है...
तभी तो बालिन में रहता दूरभाष है..
निडर रहूँ मैं अंतिम दिनों में, ऐसी अब आस है..
मालूम है मुझे, अंत मे सबका विनाश है..
फिर भी मुझे मेरे अँधेरे की तलाश है...
Very nice brother
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