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Showing posts from September, 2018

एक रात

ज़िन्दगी बेहाल है, कभी जवाब,कभी सवाल है कुछ अजनबी से मोड़ है कुछ मुकाबले की दौड़ है कुछ मंजिले जानी-पहचानी है कुछ रास्तों में बेईमानी है नींद भी है ,ख्वाब भी है सवाल भी है ,जवाब भी है रुबाब भी है, नक़ाब भी है "चाँदनी" रात भी है,धुन्दला सा महताब भी है । बस कमी है तो सितारों की, जिनके गमों का हिसाब भी है । अज़ाब भी है,खुशियों का ख़िताब भी है । अमल करना है जिस पर, वो अधूरा सा ख़्वाब भी है। उड़ान के लिए बादलों का मुक़ाम भी है। पंखों में हौसले का पैगाम भी है । जब दिल में सच्चे जज्बात है फिर डरने की क्या बात है सोचने-समझने के लिए बस एक रात है, बस आखिरी रात है ।।

मजबूरी

कैसी ये मजबूरी है बेफिजूल ये खुमारी है कैसे कहूँ कि खुश-नसीब हूँ मैं, अपनों की परेशानी लगे बड़ी सी, मुसीबत में क़यास-ए-उम्मीद लगे अड़ी सी, जब तक मुक्कमल न हुए दूसरों से तो लगा हम ही परेशान है जहाँ से, फ़ासले थे कुछ दूर यहाँ से, जब देखा नंगे पांव घूमने वाले मासूम को जेब टटोली तो पैसे न निकले उस नादान को देने को । मिट्टी का मकां, मंदिर है उनका छोटी सी दुनिया मे जहाँ है जिनका जीवन दाव लगा देते है अपना पेट पालने के लिए एक रोटी ही खा लेते है भूख मिटाने के लिए मजबूरी में इंसान क्या कुछ नही करता अभाव के रंग स्याही में उबलने दूँ तो ये ज़िन्दगी मज़ाक उड़ाती है, ये भूख है कुछ करने की, कभी इंसान को आगे बढ़ा जाती है कभी इंसान को कमज़ोर बनाती है सब कुछ सिखा जाती है फिर भी ये दुनिया अलग रंग दिखती है राजनीति और इंसानियत में फसी ज़िन्दगी किसी दाव पर लग जाती है फिर दुआओं में नींद जग जाती है.

पुराने दोस्त

In the memory of my friend who is no more in this world * कल कई दोस्त पुराने दिखे थे, फ़िर ख़्वाब की तस्वीरों में तुम मिले थे। वक़्त के चक्रव्यूह में कुछ बात न हो पाई, जब लौट के देखा मुड़कर हमनें, फिर कभी मुलाक़ात न हो पाई । वो ज़माने से खफ़ा हो चले थे , दर्द सीने में लिए , न जाने कितने जफ़ा के मसले थे। न जाने कितने अश्क़, यादोँ की कश्ती में बह चले थे। जो रोशन करने में तुले थे, वो ख़्वाब अधूरे हो चले थे । वाकिफ़ तो नही थे इस ख्वाइश से कि मिलेंगे इस कदर हम, अतीत के खुशनुमा सवेरे दुखभरी शाम बन ढले थे । साथ जीने के अरमान दिल मे पले थे । परेशान थे इस खौफ़ से, कभी अलग न हो हमारे रास्ते, घर के चिराग रोशनी तले थे दोस्तों में तुम सबसे भले थे ।       (*जफ़ा-उत्पीड़न)

Rich heart with poor mind

From the rich heart of a poor person Faded skins, full of wrinkles on my faces and eyes filled with tears of hope reveals the truth of past stories. The things which bother me about the world is that  they just wanted to use me as a machine when retired just throw. Never thought about the situations I fought under it. Let me remind you, my son! When you were small I use to hold your fingers and made you stable, now you reminded me the same thing but the difference is today you are the finger holder  and I am the poor old useless person who really needs proper medication and your help. Instead of such efforts, you pushed me out from home just because I am weak. Scares on my body is the sign of dedication and hard work. I remember the time when you showed your anger in form of sticks that were used for beating me. Thank you for taking such big decisions,  at least you are learning and following the steps of rich attitude. My life turned on when you dropped...

हौसला

"हौसला एक पर्वत है जुनून से चढ़ शिखर रघों में बहता समुंदर है बस उसका मोती बन निखर" परिंदों जैसी उड़ान रहे जब फिर दर दर क्यों भटक रहे सब इल्म की कश्ती को जान लो किस्मत की पहेलियों से उभरकर दमक रहा नायाब हो ऐसा हुनर रहे अब, ईसे तुम पहचान लो । कहीं गम कहीं खुशियाँ सब देख रहे रब, दुख में भी सुख है सुख में भी दुख है खुद में ही ख़ुदा है, ये तुम मान लो । हम दर्द से जुदा है, दर्द हम से जुदा है, बस ठान लो । हम शब्दों के पूल बाँध तो रहे है लेकिन अहसासों का तूफान कैसे रोके? हम इरादों को बुलंद तो कर रहे है मगर अहंकार को आग में कैसे झोकें ? इन सवालों के जवाब को, अरमानों में तब्दील होने का गुमान लो ।। (*इल्म = ज्ञान)

फिर सुनायेंगे

 "बंजारों की क्या ख्वाइश, महल खड़ा करने की । वो ज़िम्मेदार है,इंतज़ार करते है, उम्मीद है उन्हें,बारिश के ठहरने की । वो खुद्दार है,लगे रहते है, उनका मुकाम-ए-मकसद है,कुछ बड़ा करने की । " बल और लगाएंगे, मंज़िल की राह पर गिराने वाले । छल और अपनाएंगे, गलत हिदायतें देने वाले । नकाब कहाँ हटाएंगे, चेहरा छुपाने वाले। फरेबियत और जगायेंगे शराफत की मिशाल कहे जाने वाले ।। पल में रोयेंगे, पल में मुसकुरायेंगे, तमाम, दास्तान-ए-शुजाअत सुनने वाले। कल और आएँगे, नगमों से खिलती कलियाँ चुनने वाले । हमसे बेहतर करने वाले, तुमसे बेहतर करने वाले । कल से बेहतर करने वाले, आज से बेहतर करने वाले।। मगर,हल कोई न बताएंगे, न सफर में हाथ देने वाले, न समर में सिद्धार्थ बनने वाले । साया के साथ चलने वाले, माया के साथ चलने वाले ।। *समर-लड़ाई *शुजाअत-वीरता