हे पथिक, तू है निराश क्यों चार दिन की ज़िन्दगी फिर क्यों नफरत की गंदगी ख्वाइशो को काबू कर ख्वाब को मुकम्मल कर दिखावे से दूर, अपना ले सादगी हे पथिक, तू है हताश क्यों तू है काबिल हर मोड़ पर बस छुपी ताकत को जान ले हर दिशा को तू पहचान ले हर मुकाम लगे आसान खुद को ऐसे निहार ले बची हुई ज़िन्दगी सवाँर ले मौत है सबकी मुन्तजिर फिर मरने की है आस क्यों जुबां से न कर खुद को ज़ाहिर हर चुनोतियों में हो हाज़िर बना ले सोच को ऐसे ताहिर लफ़्ज़ों का त्यौहार मना कलम को हथियार बना हे पथिक,तू है खामोश क्यों अपने आशियाँ की खोज में दर बदर भटक रहा क्यों, रख हौसला , है चंद फासला इंसानियत की मिशाल बन कमजोरों की तू ढाल बन क्रोध का कर विनाश यूँ हे पथिक,तुझे है तलाश क्यों
"Sometimes it takes a whole life time to know someone.