वो चाय की दुकान,
वो तुम्हारे घर का पकवान,
याद है मुझे भूला नहीं हूँ मैं।
वो बात बात पर जुबां पर गालियां,
वो तुम्हारी बातों की फ़रमान ये तालियां,
याद है मुझे, भूला नहीं हूं मैं।
वो छोटी बातों पर नाराज़ होना तुम्हारा,
वो डर-डर कर रहना तुम्हारा,
फिर पछता कर रोना तुम्हारा,
याद है मुझे, भूला नहीं हूं मैं।
वो तोहफ़े तुम्हारे आज भी क़ैद है अलमारी में,
कोई कसर नहीं छोड़ी दिल ने कलाकारी में,
याद है मुझे, भूला नहीं हूँ मैं।
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