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Showing posts from December, 2018

मैं इसे समझ नहीं पाता

ये धूप कान में कुछ फुसफुसाती है, कोई पुरानी बात याद दिलाती है, मैं इसे समझ नहीं पाता। ये हवाएं भी रूह को जगाती है, अपने वजूद का एहसास दिलाती है, मैं इसे समझ नहीं पाता। ये परिंदों की चहचहाहट भी क्या गज़ब ढाती है, मानो इनकी टोली कोई मधुर गीत सुनाती है, पर मैं इसे समझ नहीं पाता। ये आसमां की चादर सबको सुलाती है, देर रात नींद से मीठी बातें करती है, और ख़्वाब को पास बुलाती है, फिर ,चाँद तारों की महफ़िल में शामिल हो जाती है, सर्द में जब सड़कों पर मासूमों को देखती है, अश्कों की बारिश में भीग जाती है , पर मैं इसे समझ नहीं पाता । ये अधूरी कहानी एक गाँव दिखाती है जहां की मिट्टी भी सुगंध छोड़ जाती है ज़िंदा हूँ, उन सांसों में, जो ग़ुमराह है किसी शहर में, वही जीने की वजह बन जाती है, पर मैं इसे समझ नहीं पाता ।

तुम अंग्रेज़ी की प्रेमिका हो, मैं हिंदी का दीवाना हूँ।

तुम अंग्रेज़ी की प्रेमिका हो, मैं हिंदी का दीवाना हूँ। तुम अटल,ज़िद्दी अमेरीका हो, मैं भारत का अंश पुराना हूँ। मिलकर सुलह करेंगे, मैं इस आस में हूँ। शिक़वे, शिकायत,कलह मिटेंगे, मैं इस प्रयास में हूँ । तुम महलों की जीविका हो, मैं पनाह की तलाश में बेगाना  हूँ । तुम रूठने का तरीका हो। मैं दिल बहलाने वाला गाना हूँ। तुम जीने का सलीका हो, मैं निस्वार्थ प्रेम का तराना हूँ। तुम अंग्रेज़ी की प्रेमिका हो, मैं हिंदी का दीवाना हूँ।।

मैं वही "जॉन" हूँ

किस्मत ने पूछा मैं कौन हूँ? मैंने बोला, मैं वही "जॉन" हूँ जिसकी तलाश में मैं कब से मौन हूँ। वो सन्नाटे में छिपी मंज़िल है, जिसका कोई नहीं साहिल है, शामिल नहीं कहीं, मैं ऐसा सुकून हूँ । मैं कबसे कह रहा, मैं वही "जॉन" हूँ। काश! में खोया ,मैं कब से मौन हूँ।। जिसका अहसास है इन हवाओं में, वो अज़नबी साज़िशें लगती है, अब अधूरी आस है इन दुआओं में । जो तहज़ीब होती है नवाबों में, वो खो गयी है कहीं ख़्वाबों में । बाज़ार ए महफ़िल में धुल गया हूँ। ज़िन्दगी जी ने का सलीका भूल गया हूँ।। मैं रिहा होना चाहता हूँ, कुछ मनमानी,ज़िद्दी विचारों से, गुनाहों में दर्ज नाम कितने है। संभल के रहना मुमकिन नहीं, अब मुझ पर इल्ज़ाम इतने है। काफ़िला लेकर कैसे चलूँ मैं ?, हर मोड़ पर इंतेज़ाम रखने है। आगे कैसे बढूं मैं, हर शहर में इन्तेक़ाम दिखने है।। मैं फिर दोहराता हूँ, मैं वही जॉन हूँ। ख़्वाबों में जीता जागता मैं वही इंसान हूँ।।