तुम्हारी हर बात का जवाब दूँगा तुम्हारे और मेरे हालात का रुबाब दूँगा मिल जाये गर तू कभी अब, तुझसे एक-एक अश्क़ का हिसाब लूँगा ।। तकलीफ क्या होती है तुझे अपने ग़मों का ख़िताब दूँगा ।। ये दिल से जो अल्फ़ाज़ निकलते है मेरे उसका हर कतरा इश्क़-ए-आसाब दूँगा।। जो शब्द कहे थे तूने कि "पैसा ही सबकुछ है" मैं भी उलझ गया, उसकी जुबान को पत्थर की लकीर समझ गया । मैं सोचता था शायद इसमें भी चलो किसी का फ़ायदा होगा । पर क्या पता था तुझमें तेरा अलग ही कायदा होगा ।। शायद अब मायने बदल गए समझने के, वो सुदामा-कृष्ण की दोस्ती का प्रेम वो राधा-कृष्ण का प्रेम प्रेम की परिभाषा में वो गीत गाते थे ज़रा सी मुस्कान पर फिसल जाते थे माना कि हम हैसियत में कच्चे थे, अरे कम से कम हम उनसे तो अच्छे थे जो आवारागर्दी और गालियों पर उतर आते थे। सूरत से नहीं, सीरत से प्यार था मुझे फिर क्यों इंसानियत से इंनकार था तुझे जैसा भी था प्यार,अपार था मुझे तुमनें "सिर्फ दोस्त" के नाम का मतलब निकाला था मुझसे सीधा बोल देती,"व्यापार था तुझसे" आज पलटता हूँ जब ज़...
"Sometimes it takes a whole life time to know someone.