रात की दीवार पर, कुछ तस्वीरें ख्वाबों की, इस तरह नींद से चिपकती है। दिल के बाग लगाने से भी नहीं उठती है। ख़्वाब में ही सही, मगर,ये तस्वीरें ज़िंदा रहती है। रोज़ सुबह जब बालकनी में, 2 कबूतरों का शोर, और दूर खेतों में, गीत सुनाता मोर, इन सबकी आवाज़, जब उठाने की कोशिश करती है, ये तस्वीरें तब जाग जाती है। जैसे ही सूरज की किरणें, खिड़कियों से झपकती है, ये तस्वीरें जाग जाती है। यादों की हवाएं, जब इन पर थिरकती है, ये तस्वीरें जाग जाती है। रात की दीवार पर, ज़िन्दगी, वक़्त की खूटी से टंगी है। ज़रा सी हवाएं चले तो, घड़ी को सुइयां खो जाती है। जब फेरते हो तुम पलकों पर हाथ, तुम्हारी हथेलियों पर चांद देख कर, ये आंखें फ़िर से सो जाती है।।
"Sometimes it takes a whole life time to know someone.